प्रात: स्मरणीय माँ दुर्गा ध्यान मंत्र
Maa Durga Morning Remembrance Meditation Mantra
माँ दुर्गा प्रातः स्मरण ध्यान मंत्र - देवीस्मरण
निम्नलिखित श्लोकोंका प्रातःकाल पाठ करनेसे बहुत कल्याण होता है, जैसे —
1-दिन अच्छा बीतता है, 2-दुःस्वप्न, कलिदोष, शत्रु, पाप और भवके भयका नाश होता है, 3-विषका भय नहीं होता, 4- धर्मकी वृद्धि होती है, अज्ञानीको ज्ञान प्राप्त होता है, 5- रोग नहीं होता, 6- पूरी आयु मिलती है, 7- विजय प्राप्त होती है, 8-निर्धन धनी होता है, 9- भूख-प्यास और कामकी बाधा नहीं होती तथा 10 - सभी बाधाओंसे छुटकारा मिलता है इत्यादि।
निष्कामकर्मियोंको भी केवल भगवतीप्रीत्यर्थ इन श्लोकोंका पाठ करना चाहिये-
देवीस्मरण
प्रातः काल उठते हीं माँ दुर्गा का स्मरण करना चाहिये। इसका स्मरण मंत्र है -
प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्वलाभां सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् ।
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम् ॥
'शरत्कालीन चन्द्रमाके समान उज्ज्वल आभावाली, उत्तम रत्नोंसे जटित मकरकुण्डलों तथा हारोंसे सुशोभित, दिव्यायुधोंसे दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथवाली, लाल कमलकी आभायुक्त चरणोंवाली भगवती दुर्गादेवीका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ।'
माँ दुर्गा ध्यान मंत्र
माँ दुर्गा के भक्त को हर स्थिति में माता का ध्यान करना होता है। माँ दुर्गा का ध्यान मंत्र है -
सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजैः
शङ्खं चक्रधनुःशरांश्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता ।
आमुक्ताङ्गदहारकङ्कणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुण्डला ॥
ॐ श्रीदुर्गायै नमः ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ।
जो सिंहकी पीठपर विराजमान हैं, जिनके मस्तकपर चन्द्रमा मुकुट है, जो मरकतमणिके समान कान्तिवाली अपनी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं, तीन नेत्रोंसे सुशोभित होती हैं, जिनके भिन्न-भिन्न अंग बाँधे हुए बाजूबंद, हार, कंकण, खनखनाती हुई करधनी और रुनझुन करते हुए नूपुरोंसे विभूषित हैं तथा जिनके कानोंमें रत्नजटित कुण्डल झिलमिलाते रहते हैं, वे भगवती दुर्गा हमारी दुर्गति दूर करनेवाली हों।